बख्तियार खिलजी जब नालन्दा विश्वविद्यालय (बिहार) की विशालकाय लाइब्रेरी की सारी
गहन ज्ञानपूर्ण पुस्तकें जला चुका तो वह,
भारतीय राजा के बचे खुचे दरबारियों को ढूँढ ढूँढकर मारने लगा।
जब वह अन्तिम ज्ञात दरबारी को मार रहा था तो
उस दरबारी ने भरे चौराहे पर चिल्लाकर कहा-
"अभी तो हम गुलाम होने जा रहे हैं,
मैं अपने भारतीय राजा को कोसना शुरू करने वाला था,
फिर मुझे याद आया कि,
आज मैं भारतीय राजा और इसकी शासन व्यवस्था की कमियों के खिलाफ पहली बार बोलने वाला हूँ,
जबकि सब कुछ हाथ से जा चुका है।
मेरा मन कहता है कि मुझे बोलने का कोई हक नहीं है।
क्योंकि मैंने सही समय पर सही ऍक्शन नहीं लिए।
मैं हमेशा अपनी कमीज साफ देखकर खुश रहा।
क्योंकि तब मैं कहाँ था जब हमारे ही हिन्दूशासित सिन्ध पर कासिम ने आक्रमण किया?
मैंने समझा कि सिन्ध तो बहुत उत्तर में है।
(और आज हम समझते हैं कि कश्मीर तो बहुत उत्तर में है)
तब मैं क्यों चुप था जब गुजरात पर महमूद गजनवी ने आक्रमण किया?
(तब मैं समझता था कि गुजरात में ट्रेन जलाई तो ट्रेन का ड्राइवर जाने)
तब मैं क्यों चुप था जब दिल्ली पर मुहम्मद गौरी ने आक्रमण किया?
(जब दिल्ली में बाटला आतंकी और तौकीर रजा समर्थित केजरीवाल को मैंने वोट देकर जिताया)
और फिर तब मैंने हिन्दूशाही वंश के राजा को समर्थन या मदद क्यों नहीं दी जब वह गजनवी
को हराने के लिए अकेले अपनी सेनाएँ लेकर बार-बार गया?
(मैंने सही समय पर भाजपा जैसी राष्ट्रवादी पार्टी को समर्थन क्यों नहीं दिया और उसे कोसने में क्यों समय बर्बाद किया?)
मैंने समझा कि मेरा काम नालन्दा की लाइब्रेरी में A.C. में बैठकर किताब पढ़ना और
किताब अच्छी लगने पर बारकोड रीडर द्वारा उसे इश्यू करवाकर घर बैठकर इन्टलैक्चुअल बनना ही है,
वैसे भी मैं तो उस नालन्दा University से हूँ जो देश-राष्ट्र से ऊपर है,
यहाँ देश-विदेश से लोग पढ़ रहे हैं,
मुझे इन 'लोकल' लोगों की छोटी सोच से ऊपर उठना चाहिये,
(I am from a Multinational/International University,
I am a cosmopolitan,
only fools speak of 'Jai Bharat' type of things. )
और उसका राजनीति से क्या लेना देना,
चाहे जो भी राजा बने मेरी किताबें तो मैं पढ़ता ही रहूँगा,
जाहिलों को किताबें पढ़ने में रत्ती भरी भी रुचि नहीं होती,
वो हमेशा संकट का अलार्म बजाते रहते हैं।
पर हाय रे मैं, किताबी कीड़ा,
आज उसी लाइब्रेरी को जलाकर नष्ट कर दिया गया है,
.................... और अब मेरी भी जान जाने को है।
"हे सुल्तान मुझे छोड़ दे मैं cosmopolitan हूँ,
C, C++ के अलावा मुझे Core Java भी पूरी आती है,
Design patterns भी काफी कुछ आते हैं,
बस एक दो दिन देगा तो उनमें भी Mastery हो जायेगी।
मैंने नालन्दा में कई International भाषाओं के novels पढ़े हुए हैं।"
(....................... हालाँकि मुझे पता है इन सब बातों से कुछ होना नहीं है................. sigh!)
हाँ.......................... फ़र्क तो पड़ता है भई !
(- कल्पना और सच्चाई का सन्तुलन)
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