Tuesday 16 July 2013

धर्मनिरपेक्षता का बुर्का : वाह क्या साफ़बयानी की है मोदी ने



सन्दर्भ- मोदी का यह बयान
 
भ्रष्टाचार-मंहगाई के सवाल पर धर्मनिरपेक्षता का बुर्का पहन लेती है कांग्रेसः मोदी

मैं नरेन्द्र मोदी का अन्ध समर्थक नहीं हूँ। लेकिन आश्चर्य और हर्ष की बात है कि भाजपा के अन्य नेता कॉंग्रेस के जिन साफ़ सत्यों को खरी भाषा में बोलने की हिम्मत नहीं करते दिख रहे हैं, वह आज मोदी कर पा रहे हैं।
जो भी हो, मोदी इस तरह विपक्ष का महान् धर्म ही नहीं निभा रहे हैं, बल्कि देश की भी महान् सेवा कर रहे हैं। क्या आज एक भी सेकुलर नेता (चाहे वो कॉंग्रेसी हो या गैर-कॉंग्रेसी) इस भ्रष्टाचारी पार्टी के मुँह पर ऐसे तमाचे जड़ पा रहा है?
जिस तरह यह एक व्यक्ति लगातार अपनी स्पष्टवादिता और स्पष्ट हिन्दुत्ववादिता के आधार पर आगे बढ़ता जा रहा है,  उससे मूर्ख कॉंग्रेस पार्टी, उसके "बुद्धू" भावी कर्णधारों और उसके भारतीय-भाषाओं की दृष्टि से काला-अक्षर-भैंस-बराबर इतालवी नेतृत्व और बाकी-सारे उनकी पालकी ढोने वाले आगे-कुँआ-तो-भी-कूद टाइप के छुटभैये कहारों के बारह बजे पड़े हैं।

2 comments:

  1. हेमन्त जी, आपने अच्छा और लघु लेख लिखा है। कांग्रेस के विरोधी कांग्रेस में भी हैं लेकिन उनमें बोलने की हिम्मत नहीं है।

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    1. धन्यवाद संजीव जी। 'कांग्रेस में ही होना' यानी 'कांग्रेसी' होना है, कोई भी मजबूरी ऐसी नहीं हो सकती जो देश को बेच खाने वाली पार्टी का समर्थन करने के लिए बाध्य कर दे।

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