नरेन्द्र मोदी ने हैदराबाद के मंच से कांग्रेस-मुक्त भारत का नारा लगाया। बाकी का भाषण तो अभी मैंने सुना नहीं है। लेकिन यह सबसे समयानुकूल नारा है।
भारत को आज इसी और ठीक इसी की जरूरत है। अब देखिये सच ही तो है। आप कहें कि भ्रष्टाचार दूर होना चाहिये - तो कांग्रेस के राज में यह असम्भव है, कांग्रेस भारत में भ्रष्टाचार का आधारस्तम्भ है। आप कहें मँहगाई दूर होनी चाहिये- तो कांग्रेस के राज में ये मजाक है। आप कहें पाकिस्तान व चीन को नियन्त्रण में रहना चाहिये - तो कांग्रेस के राज में यह लतीफा है।
अगर वास्तव में कांग्रेस-मुक्त भारत बन सका, तो यह भारत की समस्याओं के स्थायी समाधान की ओर पुरोगमन होगा।
कांग्रेस एक पार्टी नहीं बल्कि समकालीन राजनीति की एक निकृष्ट विचारधारा का नाम है। वह विचारधारा जो भौतिकवाद के धरातल पर भारत की प्राचीन संस्कृति को दुत्कारती हुई खड़ी है। जो लोगों को धर्म के बजाय विकास का सन्देश देती है, यह जाने बिना कि धर्म ही तो विकास का आधार है। और अन्ततः आधारहीन विकास जो केवल व पर इ की मात्रा और क पर आ का डण्डा और स है, का वो हाल होता है जो हमने देखा। कोयला मन्त्री रेल-घोटाला नहीं कर पाता तो कोयला घोटाला ही कर लेता है। अलबत्ता चूँकि रेल मन्त्री रेल-मन्त्रालय में है अतः वह रेल-मन्त्रालय का घोटाला कर लेता है। कम्युनिकेशन मन्त्री कॉमनवैल्थ घोटाला नहीं कर पाता तो टू-जी घोटाला कर लेता है। और फिर घोटालों की लाइन। क्या यही विकास था?
मैं तो पिछले चुनाव में भी आश्वस्त था कि कांग्रेस को हराने से देश का महान् हित होगा, ये बातें तो उनके लिए हैं जो आश्वस्त नहीं थे। .................. आइये कांग्रेस-मुक्त भारत के निर्माण की ऐतिहासिक परिघटना के साक्षी बनें।........ और योगदानकर्ता भी!
भारत को आज इसी और ठीक इसी की जरूरत है। अब देखिये सच ही तो है। आप कहें कि भ्रष्टाचार दूर होना चाहिये - तो कांग्रेस के राज में यह असम्भव है, कांग्रेस भारत में भ्रष्टाचार का आधारस्तम्भ है। आप कहें मँहगाई दूर होनी चाहिये- तो कांग्रेस के राज में ये मजाक है। आप कहें पाकिस्तान व चीन को नियन्त्रण में रहना चाहिये - तो कांग्रेस के राज में यह लतीफा है।
अगर वास्तव में कांग्रेस-मुक्त भारत बन सका, तो यह भारत की समस्याओं के स्थायी समाधान की ओर पुरोगमन होगा।
कांग्रेस एक पार्टी नहीं बल्कि समकालीन राजनीति की एक निकृष्ट विचारधारा का नाम है। वह विचारधारा जो भौतिकवाद के धरातल पर भारत की प्राचीन संस्कृति को दुत्कारती हुई खड़ी है। जो लोगों को धर्म के बजाय विकास का सन्देश देती है, यह जाने बिना कि धर्म ही तो विकास का आधार है। और अन्ततः आधारहीन विकास जो केवल व पर इ की मात्रा और क पर आ का डण्डा और स है, का वो हाल होता है जो हमने देखा। कोयला मन्त्री रेल-घोटाला नहीं कर पाता तो कोयला घोटाला ही कर लेता है। अलबत्ता चूँकि रेल मन्त्री रेल-मन्त्रालय में है अतः वह रेल-मन्त्रालय का घोटाला कर लेता है। कम्युनिकेशन मन्त्री कॉमनवैल्थ घोटाला नहीं कर पाता तो टू-जी घोटाला कर लेता है। और फिर घोटालों की लाइन। क्या यही विकास था?
मैं तो पिछले चुनाव में भी आश्वस्त था कि कांग्रेस को हराने से देश का महान् हित होगा, ये बातें तो उनके लिए हैं जो आश्वस्त नहीं थे। .................. आइये कांग्रेस-मुक्त भारत के निर्माण की ऐतिहासिक परिघटना के साक्षी बनें।........ और योगदानकर्ता भी!
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