प्रश्नकर्त्ता- ये हिन्दू हिन्दू करने का क्या मतलब है? धर्म के नाम पर विद्वेष क्यों फैला रहे हो?
मेरा उत्तर- मैं एक बात कह रहा हूँ कि हिन्दुओं के ऊपर अत्याचार हो रहा है, अन्याय हो रहा है। जाहिर है ये बात उनको अच्छी नहीं लगेगी जो खुद ये सब करने में भागीदार हैं। ............अब बताओ ये विद्वेष वाली बात क्या थी तुम्हारी? क्या तुम अत्याचारी से मुक्ति पाने के आह्वान को विद्वेष कहते हो?
प्र.क. - लेकिन विद्वेष तो फैलता ही है इससे?
उत्तर - इससे अत्याचार से मुक्ति पाने का भाव प्रबल होता है। अगर आप उसे विद्वेष कहते हैं, तो कहिये। फिर तो हमारे अधिकतर स्वाधीनता के क्रान्तिकारी विद्वेष ही फैलाते रहे।
प्र.क.- अच्छा एक बात बताओ क्या इस तरह की विचारधारा से देश में विकास हो पायेगा?
उत्तर- तुम किस तरह की विचारधारा की बात कर रहे हो?
प्र.क.- यही जो हिन्दुत्ववाद की विचारधारा है.........
उत्तर- हिन्दुत्ववाद............ चलो तुमने ये नाम लिया है तो यही प्रयोग करते हैं, वैसे इसके कई नाम हैं, सनातन संस्कृति, भारतीय संस्कृति आदि । हाँ तो विकास की बात पूछ रहे थे ना? अब तक का विकास ही नहीं बल्कि देश का अस्तित्व ही हिन्दुत्व के कारण है क्या तुम ये नहीं देखते ?
प्र.क.- ये कैसी बात कर दी.......... क्या विकास हिन्दुत्व के कारण है? क्या मोटरगाड़ियाँ, हवाई जहाज़ हिन्दुत्व ने बनाए हैं?
उत्तर- मोटरगाड़ियाँ, जहाज़? क्या ये ही विकास हैं? बहुतों के घर में आज तक मोटरकार नहीं आयी है.......... तो क्या वे अविकसित हैं? ये सारे साधन तो आज अमेरिका के रेड इन्डियन्स् के आसपास सबसे अधिक विकसित रूप में हैं.............., लेकिन क्या वे विकसित कहे जा सकते हैं? अरे भई जब सांस्कृतिक आत्मसम्मान न बचे तो विकास किसका? यूरोपीयों ने कई अविकसित संस्कृतियों पर कब्जा करके वहाँ विकास के परचम लहराये हैं, लेकिन ये सब विकास होते हुए भी विकास नहीं हैं..... क्योंकि करने वाले विदेशी हैं। और भारत में चूँकि यह अमर राष्ट्र अपनी संस्कृति को लिए अदमित खड़ा है, तो इसका विकास इसी का विकास कहला रहा है। यदि यह भारतीयों की भारतीयों द्वारा विकसित संस्कृति अक्षुण्ण न होती तो आप किसके विकास की बात कर रहे होते? और रही बात मोटरगाड़ियों और हवाई जहाज़ों की.......... मोटरगाड़ियाँ और हवाई जहाज़ ही विकास का मापदण्ड नहीं होते................ बल्कि भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में महान् लोकप्रियता हासिल कर रहे योग और आयुर्वेदिक दवाएँ भी देखो............... ये सारा विकास किसके कारण है? ऐसा प्रश्न तो पूर्वाग्रहपूर्ण है, कि मानो विकास की परिभाषा आपने जो गढ़ी उतनी ही है।.......... हाँ ये भी विकास का भाग हैं।.......... लेकिन भाग ही तो हैं।
प्र.क.- तो क्या आप भारत के विकास में हिन्दुत्व को मूल आधार मानते हैं?
उ.- मूल आधार ही नहीं, तना पत्तियाँ सब कुछ है। एक बात सोचो, ................ चलो तुम ही सोचो। आज हमारे संविधान में सभी धर्मों को समान अधिकार है, किसी धर्म पर अत्याचार नहीं कर सकता कोई धर्म,........... क्या किसी मुस्लिम बहुल या ईसाई बहुल राष्ट्र में ऐसी समानता है?
प्र.क.- उँऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ याद नहीं आ रहा..........।
उ.- कोई बात नहीं, याद आयेगा भी नहीं। ................. अब ये भी समझो कि ये सब हिन्दुत्व के कारण ही है। अगर यहाँ हिन्दुत्व नामक ऐसा धर्म न होता बहुसंख्यकों का, जो ईश्वर को अनेक रूपों में पूजे जाने को मान्यता देता है............. तो यहाँ ये दृश्य देखना संभव नहीं था।
प्र.क.- तो ठीक है ना। चलने दो फिर। क्यों हिन्दुत्व हिन्दुत्व कर रहे हो?
उ.- चलने दो? हाँ वही तो हमें करना है। हम इस हिन्दुत्व को, इस महान् धर्म को, चलने देना चाहते हैं.................. जो कि विदेशी मूल से संचालित पार्टियाँ और उनके द्वारा बहकाए गये आप जैसे प्रश्नकर्त्ता नहीं चाहते। आँखें खोलो और हिन्दुत्व की रक्षा में आगे बढ़कर प्रचार करो, न कि मूर्खों और जड़बुद्धियों की तरह अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारो।
और अब इसे भी देख लो, ये अंग्रेज़ी विकिपीडिया के इस पेज से जस-की-तस कॉपी की है- (http://en.wikipedia.org/wiki/Religion_in_india#Statistics) , इसकी पहली दो पंक्तियों को देखो। ................... कुछ समझो, ये क्या नाटक चल रहा है। हर दस साल में तुम किस भविष्य की ओर बढ़ रहे हो। और एक बार सरकार चुन ली तो दस साल की आधी अवधि (पाँच साल) तो सुनिश्चित कर ही ली, फिर चाहे कितना भी चिल्लाते रहो अन्ना के साथ मिलकर,................ जो गले पड़ गया, सो पड़ गया।
Population trends for major religious groups [in India] (1961–2001)
प्र.क.- तो क्या हिन्दुओं की जनसंख्या बढ़नी चाहिये?
उ. - अरे जनसंख्या की नहीं अनुपात की बात हो रही है, वृद्धिदर की बात हो रही है। क्या दो समुदायों की वृद्धि दर में एक ही देश में इतना भारी अन्तर प्राकृतिक रूप से पाया जाता है? क्या ये अवैध घुसपैठ और छद्म धर्मनिरपेक्षों द्वारा दी गयी विशेष सुविधाओं का प्रतिफल नहीं है? इसे कौन रोकेगा? तुम्हारे पास इसे रोकने का आज की तारीख में कोई अधिकार नहीं है। तुम्हें केवल पाँच साल में एक बार सरकार चुनने का अधिकार है। ...................... कितना भी सेकुलर सेकुलर गाते रहो, तुम हिन्दुत्व का साथ न देकर अन्ततः यहाँ एक अधिक खतरनाक पाकिस्तान जैसा कट्टर देश बना दोगे। ऐसा किस स्पीड से होगा उसके लिए ऊपर के टेबल देखने के बाद और कुछ कहने की जरूरत नहीं है। अगर तुम हिन्दुत्व का साथ दोगे, तो वास्तव में मस्तिष्क के मुक्त विकास को प्रोत्साहित करने वाले भारतीय राष्ट्र को अक्षुण्ण रख पाओगे। क्या तुम जानते नहीं, इसी हिन्दू राष्ट्र में, जब संविधान और उसमें का सेकुलर शब्द पैदा भी नहीं हुए थे, एक साथ हज़ारों-हज़ार मतों के अनुयायी रहा करते थे। उनमें से कुछ तो अनीश्वरवादी (atheist) ही थे। किसी हिन्दू राजा ने एक मत को दूसरे मत पर थोपा नहीं। ये हिन्दुओं की उस मूल वृत्ति का परिणाम है, जिसके अन्तर्गत वे 'एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति' (एक ही सत् को विद्वान् बहुत तरीकों से बताते हैं) की बात करते हैं।
चाहे तुम हिन्दू परिवार में पैदा होने के बावज़ूद किसी हिन्दू मान्यता को नहीं मानते होवो, तब भी हिन्दुत्व ही तुम्हें ऐसा करने का अधिकार देता है, और स्वतन्त्र चिन्तन को हिंसा द्वारा बाधित नहीं करता। हिन्दुत्व का लोगों को धार्मिक बनाने का तरीका हमेशा चिन्तन और तर्क का रहा है, हिंसा का नहीं। अगर तुम राजनीतिक चुनावों में हिन्दुत्व का साथ नहीं देते तो तुम्हारी ये आरामदायक वैचारिक स्वतन्त्रता कितने दशकों में खत्म हो जायेगी खुद ही गिन लो। तब शायद तुम किसी से शिकायत करने लायक भी नहीं बचोगे।
प्र.क.- मुझे अभी भी शक है, ये जनसंख्या वाली बात से क्या निष्कर्ष निकलता है?
उ. - तो इसे और देख लो - ये वाक्य English Wikipedia से जस का तस कॉपी-पेस्ट किया है-
"In 1951, Hindus constituted 22 percentage of the Pakistani population (this includes East Pakistan, modern day Bangladesh);[3][4] Today, the share of Hindus are down to 1.7 percent in Pakistan,[5] and 9.2 percent in Bangladesh[6] (In 1951, Bangladesh alone had 22% Hindu population[7])."
हिन्दी अनुवाद -
"1951 में पाकिस्तानी जनसंख्या का 22 प्रतिशत हिन्दू थे (जिसमें पूर्वी पाकिस्तान यानी आज का बांग्लादेश भी शामिल है)। आज पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या घटकर 1.7 प्रतिशत पहुँच गयी है, और बांग्लादेश में 9.2 प्रतिशत तक (1951 में अकेले बांग्लादेश में 22 प्रतिशत हिन्दू जनसंख्या थी)।"
अब कहो कि ये भी संयोग है? .................. अब नहीं कह पाओगे। ये दो राष्ट्र अपने दूसरे सबसे बड़े धर्म (यानी हिन्दू धर्म), जिसकी जनसंख्या 22 प्रतिशत थी, पर यूँ ही नहीं पिल पड़े। ये एक सोच-विशेष का परिणाम है। जिस दिन आप हिन्दू 22 प्रतिशत रह जाओगे तो समझ लेना कि आप जल्दी ही 1.7 प्रतिशत होने वाले हो। और फिर .......................... ।
प्र.क.- तो आप भी तो उसी सोच के हो। आप भी तो यही कह रहे हो कि दूसरे धर्म की जनसंख्या का अनुपात नहीं बढ़ना चाहिये।
उ.- महाराज, दोनों बातों में जमीन आसमान का अन्तर है। हिन्दुत्व भारत का मूल धर्म है। हम इसकी रक्षा की बात कर रहे हैं। हम किसी बाहरी धर्म को यहाँ के लोगों पर लादने की बात नहीं कर रहे हैं। दूसरी बात ये है कि हिन्दुत्व किसी एक कट्टर विचारधारा का नाम नहीं है। ये वैचारिक स्वतन्त्रता का ही सात्त्विक स्वरूप है।
प्र.क.- ये कैसे है? वैचारिक स्वतन्त्रता .....................। अरे हाँ, इसका उत्तर तो आप दे चुके हैं।
उ.- बिल्कुल सही कहा, इसका उत्तर वही है जो पहले दिया जा चुका है। :)
मेरा उत्तर- मैं एक बात कह रहा हूँ कि हिन्दुओं के ऊपर अत्याचार हो रहा है, अन्याय हो रहा है। जाहिर है ये बात उनको अच्छी नहीं लगेगी जो खुद ये सब करने में भागीदार हैं। ............अब बताओ ये विद्वेष वाली बात क्या थी तुम्हारी? क्या तुम अत्याचारी से मुक्ति पाने के आह्वान को विद्वेष कहते हो?
प्र.क. - लेकिन विद्वेष तो फैलता ही है इससे?
उत्तर - इससे अत्याचार से मुक्ति पाने का भाव प्रबल होता है। अगर आप उसे विद्वेष कहते हैं, तो कहिये। फिर तो हमारे अधिकतर स्वाधीनता के क्रान्तिकारी विद्वेष ही फैलाते रहे।
प्र.क.- अच्छा एक बात बताओ क्या इस तरह की विचारधारा से देश में विकास हो पायेगा?
उत्तर- तुम किस तरह की विचारधारा की बात कर रहे हो?
प्र.क.- यही जो हिन्दुत्ववाद की विचारधारा है.........
उत्तर- हिन्दुत्ववाद............ चलो तुमने ये नाम लिया है तो यही प्रयोग करते हैं, वैसे इसके कई नाम हैं, सनातन संस्कृति, भारतीय संस्कृति आदि । हाँ तो विकास की बात पूछ रहे थे ना? अब तक का विकास ही नहीं बल्कि देश का अस्तित्व ही हिन्दुत्व के कारण है क्या तुम ये नहीं देखते ?
प्र.क.- ये कैसी बात कर दी.......... क्या विकास हिन्दुत्व के कारण है? क्या मोटरगाड़ियाँ, हवाई जहाज़ हिन्दुत्व ने बनाए हैं?
उत्तर- मोटरगाड़ियाँ, जहाज़? क्या ये ही विकास हैं? बहुतों के घर में आज तक मोटरकार नहीं आयी है.......... तो क्या वे अविकसित हैं? ये सारे साधन तो आज अमेरिका के रेड इन्डियन्स् के आसपास सबसे अधिक विकसित रूप में हैं.............., लेकिन क्या वे विकसित कहे जा सकते हैं? अरे भई जब सांस्कृतिक आत्मसम्मान न बचे तो विकास किसका? यूरोपीयों ने कई अविकसित संस्कृतियों पर कब्जा करके वहाँ विकास के परचम लहराये हैं, लेकिन ये सब विकास होते हुए भी विकास नहीं हैं..... क्योंकि करने वाले विदेशी हैं। और भारत में चूँकि यह अमर राष्ट्र अपनी संस्कृति को लिए अदमित खड़ा है, तो इसका विकास इसी का विकास कहला रहा है। यदि यह भारतीयों की भारतीयों द्वारा विकसित संस्कृति अक्षुण्ण न होती तो आप किसके विकास की बात कर रहे होते? और रही बात मोटरगाड़ियों और हवाई जहाज़ों की.......... मोटरगाड़ियाँ और हवाई जहाज़ ही विकास का मापदण्ड नहीं होते................ बल्कि भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में महान् लोकप्रियता हासिल कर रहे योग और आयुर्वेदिक दवाएँ भी देखो............... ये सारा विकास किसके कारण है? ऐसा प्रश्न तो पूर्वाग्रहपूर्ण है, कि मानो विकास की परिभाषा आपने जो गढ़ी उतनी ही है।.......... हाँ ये भी विकास का भाग हैं।.......... लेकिन भाग ही तो हैं।
प्र.क.- तो क्या आप भारत के विकास में हिन्दुत्व को मूल आधार मानते हैं?
उ.- मूल आधार ही नहीं, तना पत्तियाँ सब कुछ है। एक बात सोचो, ................ चलो तुम ही सोचो। आज हमारे संविधान में सभी धर्मों को समान अधिकार है, किसी धर्म पर अत्याचार नहीं कर सकता कोई धर्म,........... क्या किसी मुस्लिम बहुल या ईसाई बहुल राष्ट्र में ऐसी समानता है?
प्र.क.- उँऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ याद नहीं आ रहा..........।
उ.- कोई बात नहीं, याद आयेगा भी नहीं। ................. अब ये भी समझो कि ये सब हिन्दुत्व के कारण ही है। अगर यहाँ हिन्दुत्व नामक ऐसा धर्म न होता बहुसंख्यकों का, जो ईश्वर को अनेक रूपों में पूजे जाने को मान्यता देता है............. तो यहाँ ये दृश्य देखना संभव नहीं था।
प्र.क.- तो ठीक है ना। चलने दो फिर। क्यों हिन्दुत्व हिन्दुत्व कर रहे हो?
उ.- चलने दो? हाँ वही तो हमें करना है। हम इस हिन्दुत्व को, इस महान् धर्म को, चलने देना चाहते हैं.................. जो कि विदेशी मूल से संचालित पार्टियाँ और उनके द्वारा बहकाए गये आप जैसे प्रश्नकर्त्ता नहीं चाहते। आँखें खोलो और हिन्दुत्व की रक्षा में आगे बढ़कर प्रचार करो, न कि मूर्खों और जड़बुद्धियों की तरह अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारो।
और अब इसे भी देख लो, ये अंग्रेज़ी विकिपीडिया के इस पेज से जस-की-तस कॉपी की है- (http://en.wikipedia.org/wiki/Religion_in_india#Statistics) , इसकी पहली दो पंक्तियों को देखो। ................... कुछ समझो, ये क्या नाटक चल रहा है। हर दस साल में तुम किस भविष्य की ओर बढ़ रहे हो। और एक बार सरकार चुन ली तो दस साल की आधी अवधि (पाँच साल) तो सुनिश्चित कर ही ली, फिर चाहे कितना भी चिल्लाते रहो अन्ना के साथ मिलकर,................ जो गले पड़ गया, सो पड़ गया।
Population trends for major religious groups [in India] (1961–2001)
Religious group |
Population % 1961 |
Population % 1971 |
Population % 1981 |
Population % 1991 |
Population % 2001 |
---|---|---|---|---|---|
Hindu | 83.45% | 82.73% | 82.30% | 81.53% | 80.46% |
Muslim | 10.69% | 11.21% | 11.75% | 12.61% | 13.43% |
Christian | 2.44% | 2.60% | 2.44% | 2.32% | 2.34% |
Sikh | 1.79% | 1.89% | 1.92% | 1.94% | 1.87% |
Buddhist | 0.74% | 0.70% | 0.70% | 0.77% | 0.77% |
Animist, others | 0.43% | 0.41% | 0.42% | 0.44% | 0.72% |
Jain | 0.46% | 0.48% | 0.47% | 0.40% | 0.41% |
प्र.क.- तो क्या हिन्दुओं की जनसंख्या बढ़नी चाहिये?
उ. - अरे जनसंख्या की नहीं अनुपात की बात हो रही है, वृद्धिदर की बात हो रही है। क्या दो समुदायों की वृद्धि दर में एक ही देश में इतना भारी अन्तर प्राकृतिक रूप से पाया जाता है? क्या ये अवैध घुसपैठ और छद्म धर्मनिरपेक्षों द्वारा दी गयी विशेष सुविधाओं का प्रतिफल नहीं है? इसे कौन रोकेगा? तुम्हारे पास इसे रोकने का आज की तारीख में कोई अधिकार नहीं है। तुम्हें केवल पाँच साल में एक बार सरकार चुनने का अधिकार है। ...................... कितना भी सेकुलर सेकुलर गाते रहो, तुम हिन्दुत्व का साथ न देकर अन्ततः यहाँ एक अधिक खतरनाक पाकिस्तान जैसा कट्टर देश बना दोगे। ऐसा किस स्पीड से होगा उसके लिए ऊपर के टेबल देखने के बाद और कुछ कहने की जरूरत नहीं है। अगर तुम हिन्दुत्व का साथ दोगे, तो वास्तव में मस्तिष्क के मुक्त विकास को प्रोत्साहित करने वाले भारतीय राष्ट्र को अक्षुण्ण रख पाओगे। क्या तुम जानते नहीं, इसी हिन्दू राष्ट्र में, जब संविधान और उसमें का सेकुलर शब्द पैदा भी नहीं हुए थे, एक साथ हज़ारों-हज़ार मतों के अनुयायी रहा करते थे। उनमें से कुछ तो अनीश्वरवादी (atheist) ही थे। किसी हिन्दू राजा ने एक मत को दूसरे मत पर थोपा नहीं। ये हिन्दुओं की उस मूल वृत्ति का परिणाम है, जिसके अन्तर्गत वे 'एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति' (एक ही सत् को विद्वान् बहुत तरीकों से बताते हैं) की बात करते हैं।
चाहे तुम हिन्दू परिवार में पैदा होने के बावज़ूद किसी हिन्दू मान्यता को नहीं मानते होवो, तब भी हिन्दुत्व ही तुम्हें ऐसा करने का अधिकार देता है, और स्वतन्त्र चिन्तन को हिंसा द्वारा बाधित नहीं करता। हिन्दुत्व का लोगों को धार्मिक बनाने का तरीका हमेशा चिन्तन और तर्क का रहा है, हिंसा का नहीं। अगर तुम राजनीतिक चुनावों में हिन्दुत्व का साथ नहीं देते तो तुम्हारी ये आरामदायक वैचारिक स्वतन्त्रता कितने दशकों में खत्म हो जायेगी खुद ही गिन लो। तब शायद तुम किसी से शिकायत करने लायक भी नहीं बचोगे।
प्र.क.- मुझे अभी भी शक है, ये जनसंख्या वाली बात से क्या निष्कर्ष निकलता है?
उ. - तो इसे और देख लो - ये वाक्य English Wikipedia से जस का तस कॉपी-पेस्ट किया है-
"In 1951, Hindus constituted 22 percentage of the Pakistani population (this includes East Pakistan, modern day Bangladesh);[3][4] Today, the share of Hindus are down to 1.7 percent in Pakistan,[5] and 9.2 percent in Bangladesh[6] (In 1951, Bangladesh alone had 22% Hindu population[7])."
स्रोत- http://en.wikipedia.org/wiki/Hinduism_in_Pakistan
हिन्दी अनुवाद -
"1951 में पाकिस्तानी जनसंख्या का 22 प्रतिशत हिन्दू थे (जिसमें पूर्वी पाकिस्तान यानी आज का बांग्लादेश भी शामिल है)। आज पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या घटकर 1.7 प्रतिशत पहुँच गयी है, और बांग्लादेश में 9.2 प्रतिशत तक (1951 में अकेले बांग्लादेश में 22 प्रतिशत हिन्दू जनसंख्या थी)।"
प्र.क.- तो आप भी तो उसी सोच के हो। आप भी तो यही कह रहे हो कि दूसरे धर्म की जनसंख्या का अनुपात नहीं बढ़ना चाहिये।
उ.- महाराज, दोनों बातों में जमीन आसमान का अन्तर है। हिन्दुत्व भारत का मूल धर्म है। हम इसकी रक्षा की बात कर रहे हैं। हम किसी बाहरी धर्म को यहाँ के लोगों पर लादने की बात नहीं कर रहे हैं। दूसरी बात ये है कि हिन्दुत्व किसी एक कट्टर विचारधारा का नाम नहीं है। ये वैचारिक स्वतन्त्रता का ही सात्त्विक स्वरूप है।
प्र.क.- ये कैसे है? वैचारिक स्वतन्त्रता .....................। अरे हाँ, इसका उत्तर तो आप दे चुके हैं।
उ.- बिल्कुल सही कहा, इसका उत्तर वही है जो पहले दिया जा चुका है। :)
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