Monday 14 October 2013

समझ विकसित कीजिए ......

कुछ लोग हिन्दू राष्ट्रवादियों का समर्थन ये कहकर नहीं करते कि हम तो धरम-वरम से वैसे भी दूर रहते हैं, चाहे हिन्दू धर्म हो या इस्लाम। इसलिए ये मुद्दे हमारे मतलब के नहीं। हिन्दू धर्म के खतरे पर प्रतिक्रिया वही लोग करें जो हिन्दू धर्म को कट्टर होकर मानते हैं। हिन्दू धर्म रहे या नहीं रहे इससे कम-से-कम हमारी जिन्दगी को कोई खास फरक नहीं पड़ने वाला।

लेकिन वे ये नहीं सोच पाते कि उन्हें धरम-वरम से मतलब न रखने की आज की ये छूट भी हिन्दू धर्म ही देता है। हिन्दू राष्ट्रवादियों का समर्थन न करने का मतलब है कि आपकी ये छूट भी जल्दी ही खत्म हो जायेगी। क्योंकि केन्या के मॉल में गोली आर-पार करते समय सिर्फ एक ही criteria होता है - कि आपको कुरान की आयतें याद हैं या नहीं। ये option नहीं दिया जाता कि - अगर आपको धरम-वरम से कोई मतलब नहीं है तो आपको कुरान की आयतें याद न हों तो भी चलेगा।............................ भैया, ये इस्लाम है। .................. जिस देश की राजधानी का नाम ही इस्लामाबाद है, वहीं पर मुसलमान नेता बेनजीर का क्या हाल हुआ सबने देखा है। और मलाला जैसी छोटी-मोटी महिलाओं की तो बात ही क्या करें। ............. ये सब कट्टरवाद की बलि चढ़े हुए लोग हैं। फिर भी धरम-वरम से मतलब न रखने वाले लोग चाहते हैं कि केवल कुछ लोग (हिन्दू राष्ट्रवादी), इन पापमय ताकतों से लोहा लेते रहें, और ताकि "धरम-वरम से मतलब न रखने" के उनके अधिकार की रक्षा होती रहे। बहुत ही शर्म की बात है।

No comments:

Post a Comment